शिवाजी द्वारा औरंगजेब को लिखे गए उनके पत्र में -
"शहंशाह !अगर सचमुच कुरान में आपको भरोसा है तो आप रब्ब-उल-अलामीन (सबके खुदा) को मानेंगे न कि रब्ब-उल-मुसलमीन ( मुसलमानों के खुदा ) को.........धर्मान्धता दिखाना कुरान के लफ्जों को बदलने जैसा है."
इश्तियाक हुसैन कुरैशी कृत 'दि मुस्लिम कम्युनिटी ऑफ दि इंडो-पाकिस्तान सबकांटिनेंट',पृ164, राजमोहन गाँधी कृत "मुस्लिम मन का आइना" में पृ 25 पर उद्धृत
"शहंशाह !अगर सचमुच कुरान में आपको भरोसा है तो आप रब्ब-उल-अलामीन (सबके खुदा) को मानेंगे न कि रब्ब-उल-मुसलमीन ( मुसलमानों के खुदा ) को.........धर्मान्धता दिखाना कुरान के लफ्जों को बदलने जैसा है."
इश्तियाक हुसैन कुरैशी कृत 'दि मुस्लिम कम्युनिटी ऑफ दि इंडो-पाकिस्तान सबकांटिनेंट',पृ164, राजमोहन गाँधी कृत "मुस्लिम मन का आइना" में पृ 25 पर उद्धृत
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